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एक तस्वीर मैंने भी खिंचवाना था और उसे सालो सहेज कर

एक तस्वीर मैंने भी खिंचवाना था
और उसे सालो सहेज कर रखना था
जिसमे चेहरा नही दिखता तेरा मेरा
लेकिन इसे जानते सिर्फ हम तुम
मिले तो हम भी थे ही एक पार्क में
इस तस्वीर के मानिंद बैठे भी थे
मेरा हाथ भी तेरे हाथों में था ही 
तेरे गोद मे सर रख लेटा भी था
तुमने मेरे सिर को चूमा भी था
सहलाये थे मैने तेरे गेसुओं को
बाहों में भीच लिया था तुम्हे
तब शायद हमने भी शून्य को तका था
और कहा था कितना प्यार करते है 
हम एक दूसरे को आंखों में आंखे डाल
तब तुम मानो सिमट सी गयी थीं मुझमे
वो सब याद तो है लेकिन
कोई उस वक्त की तस्वीर नही
जो आज तक सुरक्षित है मन मष्तिष्क में
काश!किसी ने दूर से खींची होती
जिसमे होते तो हम लेकिन पहचानते भी हम ही
और राजदार होता वो छायाकार
गुस्साना नही मैंने तेरा जिक्र नही किया
हा तुम्हे ही याद किया किसी बहाने
जिया है उस पल को शब्दों के सहारे
करता रहूंगा कुछ इसी तरह याद 
फिलहाल इतना ही

©ranjit Kumar rathour
  एक तस्वीर पीछे से
#राजदार छायाकार

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