बेहतरी इसी में है कि हम अपनी जड़ों को न छोड़े, अगर आसमान छूने की चाह में जमीन छोड़ देंगे तो थकने पर आसरा कहॉ पाएंगे। इसलिये हम अपने संस्कृति और सभ्यता को अपनाएंगे, तो हम अपना आज ही नही बल्कि कल भी मजबूत बनायेगे। (एक कदम सनातन की ओर) (चाहत) ©Chahat Kushwah #ek kadam sanatan ki oar