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"उसके पास अपना जाने क्या छोड़ आई मैं, कि एक सरगोशी

"उसके पास अपना जाने क्या छोड़ आई मैं,
कि एक सरगोशी सी ख़ुद में भर लाई मैं।
एहसास उसका अब मुझमें जगता है,
हर साँस महसूस वो ही होता है।
पल-दो-पल का किस्सा था आँखों का,
दास्ताँ उम्र-भर की बना लाई मैं।।"

©Anjali Singhal Dil ❤️ Shayarana ✍️

"उसके पास अपना जाने क्या छोड़ आई मैं,
कि एक सरगोशी सी ख़ुद में भर लाई मैं।
एहसास उसका अब मुझमें जगता है,
हर साँस महसूस वो ही होता है।
पल-दो-पल का किस्सा था आँखों का,
दास्ताँ उम्र-भर की बना लाई मैं।।"
"उसके पास अपना जाने क्या छोड़ आई मैं,
कि एक सरगोशी सी ख़ुद में भर लाई मैं।
एहसास उसका अब मुझमें जगता है,
हर साँस महसूस वो ही होता है।
पल-दो-पल का किस्सा था आँखों का,
दास्ताँ उम्र-भर की बना लाई मैं।।"

©Anjali Singhal Dil ❤️ Shayarana ✍️

"उसके पास अपना जाने क्या छोड़ आई मैं,
कि एक सरगोशी सी ख़ुद में भर लाई मैं।
एहसास उसका अब मुझमें जगता है,
हर साँस महसूस वो ही होता है।
पल-दो-पल का किस्सा था आँखों का,
दास्ताँ उम्र-भर की बना लाई मैं।।"
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Anjali Singhal

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