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ज़ब तक हम मिले न थे. तब तक दूर होने की पीड़ा थी छ

ज़ब तक हम  मिले न थे.
तब तक दूर  होने की  पीड़ा थी
छट पताहट थी
अब ज़ब मिल गए है  
तो निकटता  पाने  की आकांक्षा  भी मिट गई है

©Parasram Arora दूरिया
ज़ब तक हम  मिले न थे.
तब तक दूर  होने की  पीड़ा थी
छट पताहट थी
अब ज़ब मिल गए है  
तो निकटता  पाने  की आकांक्षा  भी मिट गई है

©Parasram Arora दूरिया

दूरिया