आज का ज्ञान सुमिरन, ऐसा कीजिए, दूजा, लखै न कोय ।। होंठ ना फरकत देखिए, प्रेम राखिये, गोय ।। परमात्मा का स्मरण, दिखावा करके मत कीजिए !! मन ही मन में, ईश्वर की आराधना ऐसे कीजिए कि दूसरा तुम्हारे होंठाें को भी फड़कता हुआ ना देख सके !! प्रेम को सदैव, गुप्त ही रखना चाहिए, किसी पर प्रकट मत कीजिए ! प्रकट करने से, उसकी गहनता नष्ट हो जाती है !! 🙏जय_श्री_कृष्ण।