Nojoto: Largest Storytelling Platform

हाय रै बचपन, तुम कितने सुहाने थे। न कोई चिंता न


हाय रै बचपन, तुम कितने सुहाने थे। न कोई चिंता न
 कोई फिक्र हर तरफ मस्ती ही मस्ती थी। चेहरे पर मासूमियत, दिल में भोलापन, न छोटे बड़े का फर्क।
खुले मैदान में दोस्तों के साथ खेलना, छोटी छोटी बातों पर लड़ना फिर एक दूजे का हाथ पकड़कर चलना। भूख
लगे तो दौड़कर मां के पास आना, मां से लिपटना,कुछ
खाने को मांगना,खाना, फिर खेलने निकल जाना। उधर
से लौटना तो धूल में सने। रिमझिम बारिश में भींगना और दोस्तों के साथ दौड़ लगाना। दुनियादारी से परे कितने सुहाने थे तुम!

©नागेंद्र किशोर सिंह ( मोतिहारी, बिहार।)
  # याद सुहाने बचपन के।