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सारी हसरतें खुद ब खुद सो गई मौसम ए दिल अब पतझड़ हो

सारी हसरतें खुद ब खुद सो गई
मौसम ए दिल अब पतझड़ हो गई
हज़ारों ख्वाबों को ना मिली मंज़िल
पता ना चला कब ये इन्तहा हो गई
ना आयेगा आँखों में कोई चेहरा
आकाश बिन जैसे धरती तरस गई
लुभाती नहीं तुम्हारी खिलखिलाती हँसी
हँसी आँखों की ना जाने कहीं खो गई
शहर तुम्हारा मुबारक हो तुम्हें निराला
चलो अच्छा है तुम्हें अब राहत हो गई
21 May 2023

©Sanjay Ni_ra_la
  #हसरतें खुद ब खुद सो गई

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