गुरूब-ए-आफ़्ताब, साथ हम-नफ़स, हर अनासिर हर लम्हा भर रहा था गवाही, कतरा कतरा इश्क बरस रहा था आसमान से, ऐसा था कुछ यादगार सफ़र जब हम दोनों साथ साथ थे। 🎀 Challenge-470 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) 🎀 इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। 🎀 रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।