सौंदर्य में सीमटा प्रेम है या प्रेम ही सौंदर्य है
ये प्रश्न हर बार मन में कौंध जाते है
महँक उठता है दिल का हर कोना-कोना
जब स्वयं को हम प्रकृति के समीप पाते है
मैने देखा है बहारों के अंजुमन में ठहरकर
अल्हड़ से भौरों को फूलों में छुपते हुए
नन्हीं-नन्हीं कलियों को बसंत में खिलने पर #एक#yqbaba#yqdidi#yqhindi#yqlove#yqpoetry#printrest#yqrestzone