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वो मेरे दर पर आकर लौट जाते हैं, आशियाँ दिल का है न

वो मेरे दर पर आकर लौट जाते हैं,
आशियाँ दिल का है निगाह क्यूँ आँशु बहाते है!

उम्र गुजार दी इस दहर की फ़ितरतो को देखते हुए,
परिंदे खरोंदों में न हो तो बिच्छू भी घर बनाते हैं!

साहिलों ने कब देखा समंदर को गुस्ताख नजरो से
थपेड़ो से बाज़ आ कश्तियाँ किनारे लग जाते हैं!

तू मेरे जख्मों को हरा या भरा नही कर सकता,
करकरती हुई खँजरो कि चुभन से नींद लग जाते हैं!

मलाल ये कि “मुसाफ़िर” को अब किसी पर यकीं नही,
दर्द दिल में उमड़ जाये तो कलम सफ़हे पर चल जाते हैं!

©दिल-ऐ-मुसाफ़िर! #`love
वो मेरे दर पर आकर लौट जाते हैं,
आशियाँ दिल का है निगाह क्यूँ आँशु बहाते है!

उम्र गुजार दी इस दहर की फ़ितरतो को देखते हुए,
परिंदे खरोंदों में न हो तो बिच्छू भी घर बनाते हैं!

साहिलों ने कब देखा समंदर को गुस्ताख नजरो से
थपेड़ो से बाज़ आ कश्तियाँ किनारे लग जाते हैं!

तू मेरे जख्मों को हरा या भरा नही कर सकता,
करकरती हुई खँजरो कि चुभन से नींद लग जाते हैं!

मलाल ये कि “मुसाफ़िर” को अब किसी पर यकीं नही,
दर्द दिल में उमड़ जाये तो कलम सफ़हे पर चल जाते हैं!

©दिल-ऐ-मुसाफ़िर! #`love