आज फिर दिल से ये पयाम आया है! दिल में छुपा रक्खा था जिसे, होठों पर वहीं तेरा नाम आया है। समझा है वफ़ा-ए-उलफ़त को ज़िंदगी से बढ़कर अफसोस मगर हमपे, बेवफ़ाई का इल्ज़ाम आया है। तुझे भुला न पाएंगे ताउम्र मेरे हमदम इश्क़ में मेरे वो मुक़ाम आया है। दिल की है जो दास्तां, काश हो पाती लफ़्ज़ों में बयां, मगर मेरे हिस्से में उलफ़त होके नाकाम आया है। आसना है मेरी हर सांस तुझमें, फिर कैसे कहूं कि तन्हाइयों ने मुझे तड़पाया है। इस मुहब्बत में बदनाम हुए लाखों दिल ख़ुशकिस्मती के मेरे हिस्से भी ये मुक़ाम आया है। ग़म तो हमें बस बेवफ़ा कहे जाने का है, और परवाह नहीं कि हमपे, कितना इल्ज़ाम आया है। ©Jupiter and its moon आज फिर दिल से ये पयाम आया है!