की तुमसे पूछूं क्या थी खता मेरी, जाते जाते इतना तो बता जाते, क्या होगी अब सजा मेरी, बस साथ ही तो मांगा था मैंने, शायद कम ही थी सदा मेरी, तूफान को भी आना था ऐन वक्त पर, जब हक पर थी दुआ मेरी, खैर तक़दीर ही थी जो इस कदर बिखरे हम, जबकी न थी कोई भी खता मेरी।। #मेराहक़बनताथा #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi