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यें ख़्वाव वक़्त बेवक़्त क्यूँ आ जाते है मुझे हकीकत

यें ख़्वाव वक़्त बेवक़्त क्यूँ आ जाते है मुझे 
हकीकत में इनका अब कोई वास्ता नहीं है..!

तुम तलक जाने की मिन्नतें हार गया हूँ मैं 
तुम तक पहुचाये मुझे कोई रास्ता नहीं है.!

तुम तो अब मेरी नहीं हो, जानता हूँ मैं यें भी 
तु मुझे समझ सकें, तुममें शाइस्ता नहीं है.!

ख़ुद अपनी ख़्वाहिशों को कैद कर चूका हूँ 
इनसे बाहर निकलूं,अब कोई रास्ता नहीं है.!

गज़ब का हुनर है तुममें, अनजाने में कैद हूँ 
चाहता हूँ यें दीवार तोड़ दूँ,ज़ब वास्ता नहीं है..!!

©Shreyansh Gaurav #jail  शायरी attitude
यें ख़्वाव वक़्त बेवक़्त क्यूँ आ जाते है मुझे 
हकीकत में इनका अब कोई वास्ता नहीं है..!

तुम तलक जाने की मिन्नतें हार गया हूँ मैं 
तुम तक पहुचाये मुझे कोई रास्ता नहीं है.!

तुम तो अब मेरी नहीं हो, जानता हूँ मैं यें भी 
तु मुझे समझ सकें, तुममें शाइस्ता नहीं है.!

ख़ुद अपनी ख़्वाहिशों को कैद कर चूका हूँ 
इनसे बाहर निकलूं,अब कोई रास्ता नहीं है.!

गज़ब का हुनर है तुममें, अनजाने में कैद हूँ 
चाहता हूँ यें दीवार तोड़ दूँ,ज़ब वास्ता नहीं है..!!

©Shreyansh Gaurav #jail  शायरी attitude