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समेट कर सब कुछ, ​वो..., ​अपने आँचल के, ​एक छोर पर,

समेट कर सब कुछ,
​वो...,
​अपने आँचल के,
​एक छोर पर,
​चल पड़ी,
​उस नदी के किनारे की,
​रेत पर,
​जहां एक समय,
​सभ्यताओं ने जनम लिया,
​रेत की जमीन मे,
​उसके धँसते पाँव,
​एहसास दिला रहे थें उसे,
​उसकी पारंपरिक,
​वेदानाओं की जकड़न का, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे 

#लज्जा

समेट कर सब कुछ,
​वो...,
​अपने आँचल के,
​एक छोर पर,
समेट कर सब कुछ,
​वो...,
​अपने आँचल के,
​एक छोर पर,
​चल पड़ी,
​उस नदी के किनारे की,
​रेत पर,
​जहां एक समय,
​सभ्यताओं ने जनम लिया,
​रेत की जमीन मे,
​उसके धँसते पाँव,
​एहसास दिला रहे थें उसे,
​उसकी पारंपरिक,
​वेदानाओं की जकड़न का, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे 

#लज्जा

समेट कर सब कुछ,
​वो...,
​अपने आँचल के,
​एक छोर पर,
akalfaaz9449

AK__Alfaaz..

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