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वो औरत है…. जानती है निभाना अपना धर्म चलाती है घ

वो औरत है….
जानती है निभाना अपना धर्म
चलाती है घर बाहर,दोनों ही कर्म
झुलसा कर अपना सुख चैन
जागती रहती दिन रैन
काटती हैं उसे बाज, कौए ,चील सी आंखें
फिर भी वो चलती है
लेकर चहरे पर एक झूठी हंसी
फीकी ही सही
मगर एक हंसी लिए

    हां वो एक औरत है…… #international_womens_day 

वो औरत है
तोड़ना चाहती है सारे बंधनों को
काटना चाहती है गुलामी की बेड़ियों को
दफ़न करना चाहती है कुरितियों को
जलाना चाहती है उन किताबों को
जिनमें किया गया है खून उसके ख़्बावों का
वो औरत है….
जानती है निभाना अपना धर्म
चलाती है घर बाहर,दोनों ही कर्म
झुलसा कर अपना सुख चैन
जागती रहती दिन रैन
काटती हैं उसे बाज, कौए ,चील सी आंखें
फिर भी वो चलती है
लेकर चहरे पर एक झूठी हंसी
फीकी ही सही
मगर एक हंसी लिए

    हां वो एक औरत है…… #international_womens_day 

वो औरत है
तोड़ना चाहती है सारे बंधनों को
काटना चाहती है गुलामी की बेड़ियों को
दफ़न करना चाहती है कुरितियों को
जलाना चाहती है उन किताबों को
जिनमें किया गया है खून उसके ख़्बावों का

#international_womens_day वो औरत है तोड़ना चाहती है सारे बंधनों को काटना चाहती है गुलामी की बेड़ियों को दफ़न करना चाहती है कुरितियों को जलाना चाहती है उन किताबों को जिनमें किया गया है खून उसके ख़्बावों का #कविता #nojotohindi #महिलादिवस #sahilbhardwaj