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काफी लड़ा मैं इस ज़माने से कुछ अपनो से तो कुछ बेगा

काफी लड़ा मैं इस ज़माने से
कुछ अपनो से तो कुछ बेगानो से

सबकी सही है
बेरुखी मैने
और सुने है सबके ही ताने

चुप रहा मैं तब 
क्योंकि किसी को क्या कहता 
कोई इस मन की बात को ना जाने

अब तो बस करनी है मेहनत इतनी
की काबिल बनूं इतना 
की उन्हें भी मैं संभाल सकूं
जो फेर कर आंखें बन गए थे 
मेरे लिए अनजाने ।

©Sajan
  #बेरुखी