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Mansha Sharma
🍁मन के भाव 🍁 बेरुखी बेरुखी गर तेरी बेरुखी ना होती आज यूं इस तरह मै आईने मे कैद ना होती ना मुझे तेरी कमी खलती ना मेरी आंखो मे बरसात होती गर तुम साथ रहते तब सात जन्म तक बात होती मगर कौन सुनता गमों की दास्तां मेरी मेरे बाद तुम्हे महसूस होगी कमी मेरी गर हम जिन्दा रहते रिश्तो मे तल्खियां बढ़ जाती साथ रहकर भी थे हम दूर गर रहते साथ रिश्तो मे रिश्ता मजबूरियां बन जाती रिश्तो मे उलझनो पर उलझने बढ़ जाती मनशा तो ना थी पर बहुत सोचा विचारा तुमसे कर ले किनारा आज जिस तरह से तुमने मेरी तस्वीर को निहारा रो रोकर जो तुमने मुझे पुकारा काश रिश्तो मे बेरुखी ना होती आज दीवार पर मेरी तस्वीर ना होती #स्वरचित_सुरमन_✍️ 22/7/21 ©Mansha Sharma #मन के भाव #सुरमन_✍️ #बेरुखी #nojato
Aashutosh Aman.
वक्त की बेरुखी कहूं किआदमी की खता। कि मै ऐसा कहूं है यही जुल्मों की सजा।। लाख कोशिश के बाद वक्त बदलता ही नहीं। गिरता रहता है बसर गिर के उठता ही नहीं।। कोशिशें हों बेअसर नहीं जीने की वजह।। उसकी मजबूरियों की कोई इन्तेहा ही नहीं। उसकी मजलूमियत पे उसकी चाहतें हैं अता।। सब कुछ है उसके पास जो भी जिंदगी को चाहिए। चाहत भी है हिम्मत भी है है हौसला भी वा खुदा।कुछ रुकावट ऐसी है जिन पर किसी का वश नहीं। अपने ही ना साथ दें या अपना न हो तो क्या मजा।। दर्द होता है लुटें जब पहले लुट जाने के बाद। प्यासे रह जाएं समंदर तक पहुंच जाने के बाद।। ©Aashutosh Aman. #बेरुखी
vs dixit
सामने से गुजरती हुई लहरों को देखकर लगता है कि कभी बड़ी पहचान थी इनसे बेरूखियां इनकी सावधान सी करती हैं किसी बड़ी सुनामी से यह कोई महज इत्तेफाक नहीं हर बार की हकीकत है। ©vs dixit #बेरुखी
Rabindra Kumar Ram
कभी कहीं मिलो जो तुम फिर ये यकीन कर लूं मैं , तेरे साथ होने का सोहबत का एहसास इसकदर लूं मैं , तेरे कैफ़ियत का नशा का सुरुर सर चढ़ बोलेंगे , तेरे बेरुखी का अंदाज फिर से कहीं गवारा ना होंगे . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram कभी कहीं मिलो जो तुम फिर ये यकीन कर लूं मैं , तेरे साथ होने का सोहबत का एहसास इसकदर लूं मैं , तेरे कैफ़ियत का नशा का सुरुर सर चढ़ बोलेंगे , तेरे बेरुखी का अंदाज फिर से कहीं गवारा ना होंगे . " --- रबिन्द्र राम #सोहबत #एहसास #कैफ़ियत #नशा #सुरुर #बेरुखी #अंदाज #गवारा
sunita acharya
उसकी बेरूख़ी अब तकलीफ़ नहीं देती मुझको, मुफ़्त में जो हासिल हैं बेकदर होना तो बनता है । ©sunita acharya #बेरुखी #दर्द #Broken #Broken💔Heart
chauhanpoetryhub
तू मेरे जर्रे जर्रे में था मगर, मेरे लिए ये काम ना आसान रहा, बहुत ढूंढा खुद को तेरे दिल के आशियाने में मगर, मैं खुद को ढूंढने में नाकाम रहा । तुझे चाहा तुझे पूजा हर पल तेरा नाम जपा, की बर्दाश्त बेरुखी तेरी तेरा हर सितम सहा, मैं बहुत काबिल था मगर तेरे दिल में घर बना ना सका, तू क्या जाने तू क्या समझे मेरे वो दौर कैसा रहा। ©chauhanpoetryhub #mainaurtum #दिल#इश्क#बेरुखी#ठिकाना#nojoto
#mainaurtum #दिल#इश्क#बेरुखी#ठिकानाnojoto
read moreRabindra Kumar Ram
" हम खो बैठे हैं अपनी सराफत , तेरी मदहोश आंखों में डुब के , अब ये इल्ज़ाम भी मुझे जायज होगा , सराफत के बेरुखी से ज़रा बदनाम ही अच्छे . " --- रबिन्द्र राम " हम खो बैठे हैं अपनी सराफत , तेरी मदहोश आंखों में डुब के , अब ये इल्ज़ाम भी मुझे जायज होगा , सराफत के बेरुखी से ज़रा बदनाम ही अच्छे . " --- रबिन्द्र राम #मदहोश #इल्ज़ाम #जायज
Rabindra Kumar Ram
" जिस तरह मिलते तेरे नाम के जैसे लोग , काश की तेरी बेरुखी इतनी संगदिल ना होती , ज़ेहन में ख्याल तेरा आज भी कुछ ताजूब कर देता हैं , काश की ये बेवशी हमारे दरम्यान आई ना होती . " --- रबिन्द्र राम Pic : pexels.com " जिस तरह मिलते तेरे नाम के जैसे लोग , काश की तेरी बेरुखी इतनी संगदिल ना होती , ज़ेहन में ख्याल तेरा आज भी कुछ ताजूब कर देता हैं , काश की ये बेवशी हमारे दरम्यान आई ना होती . " --- रबिन्द्र राम
Pic : pexels.com " जिस तरह मिलते तेरे नाम के जैसे लोग , काश की तेरी बेरुखी इतनी संगदिल ना होती , ज़ेहन में ख्याल तेरा आज भी कुछ ताजूब कर देता हैं , काश की ये बेवशी हमारे दरम्यान आई ना होती . " --- रबिन्द्र राम
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" कब वो चांद मेरे पहलू में हों , उसके के बेरुखी नजर अंदाज को समझा जा सके , इस जद में वो भी कुछ गुमसुम गुमनाम हैं , बात तहरीर पे है जाने कब तक फिर ख्याल मुकम्मल हो ." उसके जिक्र की खामोशी पूरजोर है , उसने अभी तक कोई इरादे का संदेश दिया नहीं ." --- रबिन्द्र राम Pic : pexels.com " कब वो चांद मेरे पहलू में हों , उसके के बेरुखी नजर अंदाज को समझा जा सके , इस जद में वो भी कुछ गुमसुम गुमनाम हैं , बात तहरीर पे है जाने कब तक फिर ख्याल मुकम्मल हो ." उसके जिक्र की खामोशी पूरजोर है , उसने अभी तक कोई इरादे का संदेश दिया नहीं ."
Pic : pexels.com " कब वो चांद मेरे पहलू में हों , उसके के बेरुखी नजर अंदाज को समझा जा सके , इस जद में वो भी कुछ गुमसुम गुमनाम हैं , बात तहरीर पे है जाने कब तक फिर ख्याल मुकम्मल हो ." उसके जिक्र की खामोशी पूरजोर है , उसने अभी तक कोई इरादे का संदेश दिया नहीं ."
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