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ज़रूरतो को अपने थोड़ा सा काट रखा है खुद को टुकड़ों

ज़रूरतो को अपने थोड़ा सा काट रखा है
खुद को टुकड़ों में हमने अब बांट रखा है
नमक चावल आटा रोटी औ मकान की बातें हैं
अपने आसमां को मिट्टी से यूं पाट रखा है
कोयल ने आसियाना चुराया है किसी और से
कोई और चश्म-ए-चरागो को सीने से साट रखा है
मिल्कियत बड़ी है चर्चे भी तुम्हारे ही होंगे
हम जैसों को दुनियां ने कब का बांट रखा है
एक हूनर है साफगोई का पैरहन सा शबाब पे
कुछ इस तरह खुदगर्जी को दे ताख रखा है
ज़रूरतो को अपने थोड़ा सा काट रखा है
खुद को टुकड़ों में हमने अब बांट रखा है
राजीव

©samandar Speaks
  Poonam bagadia "punit" Radhey Ray कृशांग जारवाल  princesslappi Siddharth singh