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दुर्घटना से देर भली (लघु कथा) {अनुशीर्षक में पढ़े

दुर्घटना से देर भली (लघु कथा) 
{अनुशीर्षक में पढ़े} माँ जल्दी करो, मुझे देर हो रही है, मेरी बस निकल जाएगी । प्रीत नास्ता तो कर के जा बेटा, नहीं माँ, मुझे देर हो रही है । अरे रुक ना, मैं ला रही हूँ टिफिन तेरा । माँ मुझे आज जल्दी जाना है और आप विलंब कर रहे हो । ले तेरा टिफिन, अब आराम से जाना कॉलेज ।

प्रीत अपनी बस को जाते हुए देखती है, प्रीत दौडते हुए, रोको, चिल्लाते हुए बस के पीछे भागती हैं । इतने में वो एक बुज़ुर्ग से टकरा जाती हैं और गिर जाती हैं। वो बुज़ुर्ग उसे सम्भालता हैं। वो मिट्टी से सने अपने कपड़े साफ़ करती हैं, सोचती हैं अब क्या करें ? बस तो गई ।
तब वो बुज़ुर्ग पूछता है ? बेटा चोट तो नहीं लगी । प्रीत बोलती है नहीं बाबा और आपको तो नहीं लगी ।

बुज़ुर्ग बेटा मुझे तो वो ज़ख़्म लगे है जो कभी भरने वाले नहीं है । क्यों ? बाबा ऐसा क्यों बोल रहे हो ?मेंने अपनी गलती से अपना बीवी और बेटी खोई हैं ।प्रीत आश्चर्य से बाबा बताओं ? कैसे हुआ ये सब?

बुज़ुर्ग उसे बताता हैं, मैं उस दिन कार्यालय जाने के लिए जल्दी में था । निशा को भी बाज़ार जाना था । हम साथ-साथ निकले । मुझे तो कार्यालय पहुचने की जल्दी थी । अपनी धुन में सवार मैं गाड़ी तेज़ चला रहा था ।अचानक से सामने ट्रक आ गया और मेरी गाड़ी उससे तकरा गई मेरी बेटी उछल कर गिरी और मेरी पत्नी का सिर पत्थर से टकरा गया । उन दोनों को मैने खो दिया । ये सब मेरी लापरवाही का नतीज़ा है। उन कुछ पल की जल्दी में मेरी ज़िन्दगी ही ख़राब हो गई ।
दुर्घटना से देर भली (लघु कथा) 
{अनुशीर्षक में पढ़े} माँ जल्दी करो, मुझे देर हो रही है, मेरी बस निकल जाएगी । प्रीत नास्ता तो कर के जा बेटा, नहीं माँ, मुझे देर हो रही है । अरे रुक ना, मैं ला रही हूँ टिफिन तेरा । माँ मुझे आज जल्दी जाना है और आप विलंब कर रहे हो । ले तेरा टिफिन, अब आराम से जाना कॉलेज ।

प्रीत अपनी बस को जाते हुए देखती है, प्रीत दौडते हुए, रोको, चिल्लाते हुए बस के पीछे भागती हैं । इतने में वो एक बुज़ुर्ग से टकरा जाती हैं और गिर जाती हैं। वो बुज़ुर्ग उसे सम्भालता हैं। वो मिट्टी से सने अपने कपड़े साफ़ करती हैं, सोचती हैं अब क्या करें ? बस तो गई ।
तब वो बुज़ुर्ग पूछता है ? बेटा चोट तो नहीं लगी । प्रीत बोलती है नहीं बाबा और आपको तो नहीं लगी ।

बुज़ुर्ग बेटा मुझे तो वो ज़ख़्म लगे है जो कभी भरने वाले नहीं है । क्यों ? बाबा ऐसा क्यों बोल रहे हो ?मेंने अपनी गलती से अपना बीवी और बेटी खोई हैं ।प्रीत आश्चर्य से बाबा बताओं ? कैसे हुआ ये सब?

बुज़ुर्ग उसे बताता हैं, मैं उस दिन कार्यालय जाने के लिए जल्दी में था । निशा को भी बाज़ार जाना था । हम साथ-साथ निकले । मुझे तो कार्यालय पहुचने की जल्दी थी । अपनी धुन में सवार मैं गाड़ी तेज़ चला रहा था ।अचानक से सामने ट्रक आ गया और मेरी गाड़ी उससे तकरा गई मेरी बेटी उछल कर गिरी और मेरी पत्नी का सिर पत्थर से टकरा गया । उन दोनों को मैने खो दिया । ये सब मेरी लापरवाही का नतीज़ा है। उन कुछ पल की जल्दी में मेरी ज़िन्दगी ही ख़राब हो गई ।
krishvj9297

Krish Vj

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माँ जल्दी करो, मुझे देर हो रही है, मेरी बस निकल जाएगी । प्रीत नास्ता तो कर के जा बेटा, नहीं माँ, मुझे देर हो रही है । अरे रुक ना, मैं ला रही हूँ टिफिन तेरा । माँ मुझे आज जल्दी जाना है और आप विलंब कर रहे हो । ले तेरा टिफिन, अब आराम से जाना कॉलेज । प्रीत अपनी बस को जाते हुए देखती है, प्रीत दौडते हुए, रोको, चिल्लाते हुए बस के पीछे भागती हैं । इतने में वो एक बुज़ुर्ग से टकरा जाती हैं और गिर जाती हैं। वो बुज़ुर्ग उसे सम्भालता हैं। वो मिट्टी से सने अपने कपड़े साफ़ करती हैं, सोचती हैं अब क्या करें ? बस तो गई । तब वो बुज़ुर्ग पूछता है ? बेटा चोट तो नहीं लगी । प्रीत बोलती है नहीं बाबा और आपको तो नहीं लगी । बुज़ुर्ग बेटा मुझे तो वो ज़ख़्म लगे है जो कभी भरने वाले नहीं है । क्यों ? बाबा ऐसा क्यों बोल रहे हो ?मेंने अपनी गलती से अपना बीवी और बेटी खोई हैं ।प्रीत आश्चर्य से बाबा बताओं ? कैसे हुआ ये सब? बुज़ुर्ग उसे बताता हैं, मैं उस दिन कार्यालय जाने के लिए जल्दी में था । निशा को भी बाज़ार जाना था । हम साथ-साथ निकले । मुझे तो कार्यालय पहुचने की जल्दी थी । अपनी धुन में सवार मैं गाड़ी तेज़ चला रहा था ।अचानक से सामने ट्रक आ गया और मेरी गाड़ी उससे तकरा गई मेरी बेटी उछल कर गिरी और मेरी पत्नी का सिर पत्थर से टकरा गया । उन दोनों को मैने खो दिया । ये सब मेरी लापरवाही का नतीज़ा है। उन कुछ पल की जल्दी में मेरी ज़िन्दगी ही ख़राब हो गई । #story #yqdidi #accident #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़