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प्रकृति मोद मनाती बचपन हंसता मुस्काता है कौतुक भर

प्रकृति मोद मनाती बचपन हंसता मुस्काता है
कौतुक भर हर घर आंगन गोकुल सा हो जाता है
नन्हकाई का रूप मनोहर सबका जी ललचाता है
शैशव सुघर कन्हैया देखो बांके भर भर आता है
सुमुख अंगूठा मुख में डाले तोष निरत उपजाता है
अनुपम सरस छबीली मुद्रा कितने खेल दिखाता है
बिन बंधन बांधे रखता है सबको खूब नचाता है
है अबोल अबोध किन्तु विबोध प्रकट दर्शाता है
मन ठग लेता कुछ न लेता कितना कुछ दे जाता है
मानस सागर के अंतर के कितने रत्न लुटाता है
 #toyou #yqlove #yqinfancy #yqparenting #yqbliss #yqblessing #my❤️💕😘😘
प्रकृति मोद मनाती बचपन हंसता मुस्काता है
कौतुक भर हर घर आंगन गोकुल सा हो जाता है
नन्हकाई का रूप मनोहर सबका जी ललचाता है
शैशव सुघर कन्हैया देखो बांके भर भर आता है
सुमुख अंगूठा मुख में डाले तोष निरत उपजाता है
अनुपम सरस छबीली मुद्रा कितने खेल दिखाता है
बिन बंधन बांधे रखता है सबको खूब नचाता है
है अबोल अबोध किन्तु विबोध प्रकट दर्शाता है
मन ठग लेता कुछ न लेता कितना कुछ दे जाता है
मानस सागर के अंतर के कितने रत्न लुटाता है
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