ढाई अक्षर प्रेम के, ढाई आखड प्रेम के, पढे सो बेजार होय.. मिले जो नैना ओसे, हम खुद ही शिकार होय.. सोग ही रहा जीवन में, मिलावट का बाजार होय.. प्रीत की रुत अब कहाँ रही, बस जिस्मोंवाला प्यार होय.. #Shilpa #Dhaai_Akshar_Prem_Ke #TpWritting #Shilpa_ek_Shayaraaa #ShilpaSalve358