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Unsplash ग़ज़ल जब भी शोले कहीं भड़कते हैं दिल तो

Unsplash ग़ज़ल

जब भी शोले कहीं भड़कते हैं 
दिल तो हर ऐक के धड़कते हैं 

दिल में उनके तो हम खटकते हैं 
आजकल वो बहुत बहकते हैं 

कुछ भी उनका नहीं भरोसा है 
जो इधर से उधर लुड़कते हैं 

कद्र उनकी कहाँ नहीं होती 
फूल गुलशन में जो महकते हैं 

बात कुछ तो जरूर है देखो 
आजकल खूब वो महकते हैं 

और इसके सिवा वो क्या करते 
काम के वक्त पर खिसकते हैं 

चंद सिक्कों में बिकना सीखा है 
बे सबब और पर भड़कते हैं 

बात जो भी इधर उधर करते 
ऐसे इंसाँ मुझे खटकते हैं 

दिल में कुछ तो ज़रूर है "हरदीन" 
जाने क्या क्या नहीं वो बकते हैं 

चौधरी हरदीन कूकना

©CHOUDHARY HARDIN KUKNA #गजल  लाइफ कोट्स
Unsplash ग़ज़ल

जब भी शोले कहीं भड़कते हैं 
दिल तो हर ऐक के धड़कते हैं 

दिल में उनके तो हम खटकते हैं 
आजकल वो बहुत बहकते हैं 

कुछ भी उनका नहीं भरोसा है 
जो इधर से उधर लुड़कते हैं 

कद्र उनकी कहाँ नहीं होती 
फूल गुलशन में जो महकते हैं 

बात कुछ तो जरूर है देखो 
आजकल खूब वो महकते हैं 

और इसके सिवा वो क्या करते 
काम के वक्त पर खिसकते हैं 

चंद सिक्कों में बिकना सीखा है 
बे सबब और पर भड़कते हैं 

बात जो भी इधर उधर करते 
ऐसे इंसाँ मुझे खटकते हैं 

दिल में कुछ तो ज़रूर है "हरदीन" 
जाने क्या क्या नहीं वो बकते हैं 

चौधरी हरदीन कूकना

©CHOUDHARY HARDIN KUKNA #गजल  लाइफ कोट्स