नेताजी खाकर मालामाल हो गए। भूखे ग़रीब सारे कंकाल हो गए। चिंता नहीं रही ग़रीबों की ज़रा सी। किसानों के लिए ये जंजाल हो गए। 🎀 प्रतियोगिता संख्या- 27 🎀 शीर्षक:- ""हास्य कविता"" 🎀 शब्द सीमा नहीं है। 🎀 इस प्रतियोगिता में आप सभी को इस शीर्षक पर collab करना है।