*जिन्दगी की जद्दोजेहद* - एक नई रचना। अपने अंदर भी कई रियासतें है, मन मग़ज़ की चलती सियासतें है, ताउम्र उधेड़बुन होती रहेगी, झेली, संभाली कई बगावतें है। मन की काया पर कुछ हुकूमतें है, यहाँ बिन बुलाई कुछ कयामतें है, ताउम्र आपाधापी होती रहेगी, झेली, संभाली कई हकीकतें है। मग़ज़ में मचलती कुछ अदालतें है, बिन कुछ किये अनसुनी तोहमतें है, ताउम्र खींचातानी होती रहेगी, झेली, संभाली कई वकालतें है। जज्बा भरती कुछ नेक इबादतें है, कहीं बिखरी अनजानी नफ़रतें है, ताउम्र ऊंच-नीच होती रहेगी, झेली, संभाली कई अदवाते है। *कवि आनंद दाधीच ©Anand Dadhich #जिन्दगीकीजद्दोजेहद #lifestruggle #जीवन #kaviananddadhich #poetananddadhich #poetsofindia #poemonlife #bestof2022