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ज़ख़्म इतने मिले मोहब्बत में, जिसका मरहम नहीं ज़म


ज़ख़्म इतने मिले मोहब्बत में, जिसका मरहम नहीं ज़माने में।

मैं ज़ख़्म खा के मोहब्बत में मर गया होता,  तेरी वफ़ा ने अगर साथ ना दिया होता।
ज़ख़्म शायरी 
इश्क़ में ज़ख़्म मिला ज़ख़्म भी नासूर हुआ, 'जान देने के लिए दिल मेरा मजबूर हुआ।

©JOGINDER SINGH
  #जख्मी_सायरी