" एक सफ़र पे हैं , जाने कौन सा मुकम्मल ख्वाब मिले , रोज़ तेरी आरजू में कुछ फासले तय करने हैं , ज़िन्दगी ले चल तू जहां मेरी आरज़ू में तेरी जूस्तजु हैं. " --- रबिन्द्र राम " एक सफ़र पे हैं , जाने कौन सा मुकम्मल ख्वाब मिले , रोज़ तेरी आरजू में कुछ फासले तय करने हैं , ज़िन्दगी ले चल तू जहां मेरी आरज़ू में तेरी जूस्तजु हैं. " --- रबिन्द्र राम #सफ़र #मुकम्मल #ख्वाब #फासले