उठाये सर वहाँ पर घास के तिनके खड़े होंगे
न जाने हिज़्र में मर कर जहाँ कितने गड़े होंगे।
कि पतझड़ में जहाँ पर फूल खिलते थे वहीं पर अब
बहारों में अभी उस शाख से पत्ते झड़े होंगे।
अलग होते हुए जब एक बोसा था दिया तुमने
वहाँ पत्थर के बुत भी आँख भर कर रो पड़े होंगे। #शायरी