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आजकल मन का एक हिस्सा बड़ा उदास है, सोचती हुं

आजकल मन का एक हिस्सा 
  बड़ा उदास है,
  
सोचती हुं कुछ नया लिख पढ़ ही लूं 
    पर यही मन रोक लेता है 
    कलम मेरी, 
    क्या लिखूं क्या न लिखूं 
     इसी कशमकश में वक्त 
     यूं ही जाया हो जाता है ।

     उलझा-उलझा सा ये मन 
     सुलझना भी नहीं चाहता,
     यादों के भंवर में फंसकर 
     सिसकियाँ भरता ही रहता। 
 
     गिरह खोले अगर मन 
     उदासी भी कुछ कम हो,
     भवंर से निकलकर यादों के 
      शायद किनारा भी मिल जाए। 

      आज कल मन का एक हिस्सा 
       बड़ा उदास........... ।

©sabr
  #Women
poonamarya3803

sabr

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