बरसों से पत्थर का बूत बना पड़ा हूं, अपने होटों से छू कर मुझे तू जिंदगी का जाम पिला दे। के कितना तरसता रहा हूं उम्रभर तेरे इंतेज़ार में, अपनी बाहों में भर कर मुझे हमेशा के लिए सुकून दिला दे। बरसों से #पत्थर का बूत बना पड़ा हूं, अपने होटों से छू कर मुझे तू #जिंदगी का #जाम पिला दे। के कितना तरसता रहा हूं उम्रभर तेरे #इंतेज़ार में, अपनी बाहों में भर कर मुझे हमेशा के लिए #सुकून दिला दे।