बहुत कुछ है कहने को पर क्या कहूँ कुछ समझ नहीं पाऊँ मैं चातक,तुम्हारी चाहत में कितना तड़पता हूँ आखिर तुम्हे कैसे बताऊँ याचक बन कर तुम्हारे प्रेम की याचना तुमसे कैसे कर पाऊँ तुम्हे देखने की जिद पाल रखी है मेरी आँखों ने इसे और क्या दिखाऊँ पता नहीं भीतर क्या सुलग रहा है तुम्हीं बताओ ना इसे कैसे बुझाऊँ एक दरिया बह रहा है जो मुझे बहा ले जाना चाहता है तुम बताओ ना कैसे खुद को बहने से रोक पाऊँ ये सावन भी बीत रहा है तुम्हीं बताओ ना ये सावन तुम्हारे बिन कैसे बिताऊँ अब जीवन में बसती हो तुम तुम्हीं बताओ ना तुम्हारे बिना कैसे जी पाऊँ---अभिषेक राजहंस तुम्हे कैसे बताऊँ