शीर्षक-यादों की बस्ती विधा-कविता ---------------------------- कभी वक्त कहाँ ठहरा है, देखूँ जहाँ जहाँ तेरी यादों का पहरा है। यादों की दीवारें मौन गुंज़ार कर रही हैं, तन्हाई लम्हों को फिर से कुरेद रही है। आज भी हवाएं तेरा हाल बताने आती हैं, मन में होती सरसराहट जैसे तेरे गुनगुनाने की सदा आती है। बेज़ार दिल अक़्सर पूछ लेता है, ज़िन्दगी का सबब क्यों कुछ न कहता है। यहां कोई और कभी न आता है, ये यादों की बस्ती है यहां सिर्फ तेरा ख़्याल आता है। रचनाकार-अतुल पाठक " धैर्य " पता-जनपद हाथरस(उत्तर प्रदेश) मौलिक/स्वरचित रचना ©ATUL PATHAK DHAIRYA #यादें #कविता #poem #poemkiduniya #Nojoto #yourquote #feelings