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समंदर की नब्ज टटोलता हूं मैं पत्थर को पानी में घोल

समंदर की नब्ज टटोलता हूं मैं
पत्थर को पानी में घोलता हूं मैं

जिसका अंदाज है भाता मुझे
उस ही के लहजे में बोलता हूं मैं

क्यूं नजर आता है चेहरा तुम्हारा
जब भी जज्बातों को खोलता हूं मैं

मुझे नहीं है चीखने की जरूरत
कलम से बहुत कुछ बोलता हूं मैं  #जज्बातों_की_जुबाँ #अजनबी
समंदर की नब्ज टटोलता हूं मैं
पत्थर को पानी में घोलता हूं मैं

जिसका अंदाज है भाता मुझे
उस ही के लहजे में बोलता हूं मैं

क्यूं नजर आता है चेहरा तुम्हारा
जब भी जज्बातों को खोलता हूं मैं

मुझे नहीं है चीखने की जरूरत
कलम से बहुत कुछ बोलता हूं मैं  #जज्बातों_की_जुबाँ #अजनबी