जब जब जवान प्रखर आते है, सच के प्रलेख उभर आते है, जगत में शतक सदियों बाद भी; झूट के पुलिंदे बिखर जाते है। जब चलचित्र बन शस्त्र आते है, खंजर के तस्कर डर जाते है, हत्या कर दुबके जालिमों के, नामों नकाब उतर जाते है। जब जब सपूत निडर आते है, दुश्मन के ख्याल सिहर जाते है, दगा देकर तख्त पर बैठे लोग, सच की जय से ठिठुर जाते है। जब सच्चे सन्देश घर जाते है, तो मूर्ख हिंसक सुधर जाते है, कुटिलता से तथ्य दबानेवाले, बिलखते हुये बाहर आते है! *कवि आनंद दाधीच ©Anand Dadhich #सच #kaviananddadhich #poetananddadhich #kashmirfiles #KashmiriFiles