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कभी जब इश्क़ का कस खीचों तो पता है जिंदगी धुंआ हो ज

कभी जब इश्क़ का कस खीचों तो पता है जिंदगी धुंआ हो जाती है।
और सुलगते हुए लम्हें राख होने को आमादा हो उठते हैं ।

#माधवेन्द्र_फैजाबादी
कभी जब इश्क़ का कस खीचों तो पता है जिंदगी धुंआ हो जाती है।
और सुलगते हुए लम्हें राख होने को आमादा हो उठते हैं ।

#माधवेन्द्र_फैजाबादी