खेत की पुरानी पगडंडियों पे जिन्दगी की सीली सीली एक पुरवाई छोङ आये हम। यौवन के घट की रवानी को सम्भाले हुए, एक बलखाती तरुणाई छोङ आये हम। जीविका की खोज में मुढेर वाली धूप और, आम की सुहानी अमराई छोङ आये हम। अँखियों में मीठे-मीठे सपने सुहाने लिये, प्यार की अनूठी अँगडाई छोङ आये हम। ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ - विनोद साँवरिया गाँव की सुहानी यादें घनाक्षरी के साथ।