वफाई वही अंधेरी रात में जब मैं घर लोट रहा था तो तुझें खोने की डर से मैं पलट कर देख रहा था जब मैं चलता था तो मेरी परछाईं भी मेरी साथ छोड देती थी कीसी पे क्या भरोसा करु यह रात मुझे सिखाती थी पर तेरे वादे याद आती थी तो घर की तरफ बढ जाता था वही अंधेरी रात में जब मैं घर लौट रहा था वही अंधेरी रातों का मिलना तेरा मुझे कह रहा था तुझें ही मेरी जिंदगी की ख्वाहिश बना लूॅं चलते चलते सोच रहा था वही अंधेरी रात में जब मैं घर लौट रहा था आकाश तायडे.. just trying to write