चंद दिन की है बात क्या जाने, बची कितनी हयात क्या जाने, ना-ख़ुदा पर भी रश्क आता है, दिल में है क़ायनात क्या जाने, मिटाएँ तिश्नगी किसके दर पर, हो न हो मुलाक़ात क्या जाने, बचा हो अब भी शरारा दिल में, रात उल्फ़त की बात क्या जाने, तकल्लुफ़ से जुबाँ पर नाम आया, हाल-ए-दिल पारिजात क्या जाने, इश्क हो क़ैद दीवार-ओ-दर में, कब घटे वारदात क्या जाने, मोह-माया के जाल से 'गुंजन', कैसे पाएँ नजात क्या जाने, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #बची कितनी हयात#