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तुम्हारे जाते वक्त कुछ भी समझ में ना आया मैं क्या

तुम्हारे जाते वक्त कुछ भी समझ में ना आया
 मैं क्या तुमसे बोलूं मेरी ज़हन में कुछ भी ना आया,
 तुम्हारे जाते वक्त बस मैं चाहता था तुम्हें देखता रहूं
 फिर भी मैं तुम्हारी आंखों में ना देख पाया
  मुझे माफ कर देना तुम्हारे जाते वक्त
 तुम्हें जी भर के ना देख पाया,
तुम्हें जाते देख मेरा दिल बर्दाश्त ना कर पाया
 तू मेरी आंखों में आंसू ना देखे,
 इसलिए दोबारा तुम्हारी तरफ ना देखकर 
वापस चला आया,
 तुम्हारे जाते वक्त कुछ भी समझ में ना आया,

©SANJAY MAHARAJ
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