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उजाड़ कर आशियाना कैसे वो सोता होगा, इंसान तो वो भी

उजाड़ कर आशियाना कैसे वो सोता होगा,
इंसान तो वो भी हैं कभी तो रोता होगा।

कभी मोहब्बत ही मोहब्बत थी जिंदगी में जिसके,
दुनियाभर के नफरतों से दम उसका भी घुटता होगा।

वो जो करता हैं हमसे नफ़रत लाज़मी हैं,
उसने हैवानियत हमारी कभी ना कभी देखा होगा।

वो जो आज हैं उसमें हमारा ही हाथ हैं,
हमने ही उसे गिरोह से निकाल फेंका होगा।

कर रहा हैं वो जो कुछ उसमें हैरत क्या?
ये करने को उसे मजबूर हमने ही किया होगा।

कहती हैं आतंकी ये दुनियां जिसे,
वो भी किसी का भाई, किसी का बेटा होगा।

- Rkant #Dard_Bewajah
#Giroh #Socity
उजाड़ कर आशियाना कैसे वो सोता होगा,
इंसान तो वो भी हैं कभी तो रोता होगा।

कभी मोहब्बत ही मोहब्बत थी जिंदगी में जिसके,
दुनियाभर के नफरतों से दम उसका भी घुटता होगा।

वो जो करता हैं हमसे नफ़रत लाज़मी हैं,
उसने हैवानियत हमारी कभी ना कभी देखा होगा।

वो जो आज हैं उसमें हमारा ही हाथ हैं,
हमने ही उसे गिरोह से निकाल फेंका होगा।

कर रहा हैं वो जो कुछ उसमें हैरत क्या?
ये करने को उसे मजबूर हमने ही किया होगा।

कहती हैं आतंकी ये दुनियां जिसे,
वो भी किसी का भाई, किसी का बेटा होगा।

- Rkant #Dard_Bewajah
#Giroh #Socity
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