Nojoto: Largest Storytelling Platform

बचपन की वो गलियाँ, मासूमियत की बातें, खेल-खिलौनों

बचपन की वो गलियाँ, मासूमियत की बातें,
खेल-खिलौनों में खो जाना, वो प्यारी सी रातें।

मिट्टी के घरौंदे, सपनों की उड़ान,
न चिंता, न फिक्र, बस खुशियों का जहान।

माँ की कहानियाँ, दादी की लोरियाँ,
हर दिन था नया, हर रात थी सुनहरी।

वो स्कूल की घंटी, दोस्तों का साथ,
हर पल में थी खुशियाँ, हर दिन था खास।

अब बड़े हो गए हैं, जिम्मेदारियों का बोझ,
पर दिल में बसी हैं, बचपन की वो खोज।

काश फिर से लौट आएं, वो सुनहरे दिन,
फिर से जी लें हम, वो मासूमियत के पल।

©Rounak kumar
  #Child  swati soni