Unsplash ए दिसम्बर तू जा,अब तुझे अलविदा कहना चाहती हूँ, गए वर्ष मे क्या क्या खोया, उसे याद नहीं करना चाहती हूँ। ए दिसम्बर तू जा........ कुछ सपने थे जो टूट गए, कुछ अपने मुझसे रूठ गए, कुछ आस्तीन के साँपो से अब सारे बंधन छूट गए, अब कहना सुनना ख़त्म हुआ, अब थोड़ा आराम करना चाहती हूँ.... ए दिसम्बर तू जा... कितने बच्चे अनाथ हुए, कितने माँ बाप निसंतान हुए, कितनी बेटियां भेडियो का शिकार हुई, कितने घर बर्बाद हुए, कितने जीव मनुष्य का शिकार हुए अब सहन शीलता ख़त्म हुई, अब मै खुद का आईना बनना चाहती हूँ। ए दिसम्बर तू जा...... ©meri_lekhni_12 दिसंबर /december