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सुनो! देश की मिट्टी से जुड़ जाना। कुछ दिनों में दीव

सुनो! देश की मिट्टी से जुड़ जाना।
कुछ दिनों में दीवाली आ रही है,
अपने घर, मोहल्ला, देश को
दीपदान से ही सजाना।

सुनो! दीये मिट्टी के ही लाना।
बाजार में जो बच्चे-बूढ़े मिलें,
उनसे ही ले आना।
सुनो! दीये मिट्टी के ही लाना।

सुनो! थोड़े ज्यादा ही ले आना।
अब से दिवाली की मिठाई 
के साथ उनको भी बँटवाना।
सुनो! दीये मिट्टी के ही लाना।

सुनो! ज्यादा मोलभाव मत करना।
साल में एक बार ही दिवाली 
घरों को रोशन करती है।
सुनो! उनका घर भी रोशन कर आना।

सुनो! दीये मिट्टी के ही लाना।
अमावस की काली रात को
नन्हें दीपों की कतार से जगमगा देना।
सुनो! दीये मिट्टी के ही लाना।

सुनो! भारत को अयोध्या बना देना।
दीये सभी प्रेम से जलाकर 
सीता-राम-लक्ष्मण महोत्सव मनाना।
सुनो! दीये मिट्टी के ही लाना।

©Hemlata Verma #शीर्षक-सुनो! दीये मिट्टी के ही लाना

सुनो! देश की मिट्टी से जुड़ जाना।
कुछ दिनों में दीवाली आ रही है,
अपने घर, मोहल्ला, देश को
दीपदान से ही सजाना।

सुनो! दीये मिट्टी के ही लाना।
सुनो! देश की मिट्टी से जुड़ जाना।
कुछ दिनों में दीवाली आ रही है,
अपने घर, मोहल्ला, देश को
दीपदान से ही सजाना।

सुनो! दीये मिट्टी के ही लाना।
बाजार में जो बच्चे-बूढ़े मिलें,
उनसे ही ले आना।
सुनो! दीये मिट्टी के ही लाना।

सुनो! थोड़े ज्यादा ही ले आना।
अब से दिवाली की मिठाई 
के साथ उनको भी बँटवाना।
सुनो! दीये मिट्टी के ही लाना।

सुनो! ज्यादा मोलभाव मत करना।
साल में एक बार ही दिवाली 
घरों को रोशन करती है।
सुनो! उनका घर भी रोशन कर आना।

सुनो! दीये मिट्टी के ही लाना।
अमावस की काली रात को
नन्हें दीपों की कतार से जगमगा देना।
सुनो! दीये मिट्टी के ही लाना।

सुनो! भारत को अयोध्या बना देना।
दीये सभी प्रेम से जलाकर 
सीता-राम-लक्ष्मण महोत्सव मनाना।
सुनो! दीये मिट्टी के ही लाना।

©Hemlata Verma #शीर्षक-सुनो! दीये मिट्टी के ही लाना

सुनो! देश की मिट्टी से जुड़ जाना।
कुछ दिनों में दीवाली आ रही है,
अपने घर, मोहल्ला, देश को
दीपदान से ही सजाना।

सुनो! दीये मिट्टी के ही लाना।

#शीर्षक-सुनो! दीये मिट्टी के ही लाना सुनो! देश की मिट्टी से जुड़ जाना। कुछ दिनों में दीवाली आ रही है, अपने घर, मोहल्ला, देश को दीपदान से ही सजाना। सुनो! दीये मिट्टी के ही लाना। #कविता