ईमान और सम्मान तुम ज़रा ईमान अपना बेच दो, और फिर बाज़ार के रंगों को देखो। हर तरफ़ सब कुछ बिकाऊं ही दिखेगा, और फिर बीमार सब चंगों को देखो।। आय-व्यय के संतुलन को कौन देखे। हर तरफ से देखना है लाभ खुद का, इस क़दर नैतिक पतन उत्थान पर है, भूल जाता है मनुज कर्तव्य खुद का।। और फिर ये चाहते, हो देश आगे, और सब कुछ हो तुम्हारी शान जैसा। मान लेकर मान की ही माँग करते, आत्मा निज बेचकर सम्मान कैसा।। .............कौशल तिवारी . . . ©Kaushal Kumar #ईमान और सम्मान