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इन सर्दियों में मेरी उंगलियाँ काम नहीं करती। मैं त

इन सर्दियों में मेरी उंगलियाँ काम नहीं करती।
मैं तब तक कोई एहसास नहीं लिख पाता जब तक तुम्हारी गर्माहट मेरे सीने पर नहीं पसर जाती
। मैं कई रात अपनी हथेलियों को तुम्हारे कांधे पर रखकर सोचता हूँ- काश! 
मेरी हथेलियों को अपनी मुट्ठियों में भीच लो तुम
। मैं तुमसे लिपटने की इक ख़ाहिश लिए शब भर जगते हुए लिखता हूँ ताकि तुम जब मुस्कुराती हुई निगाहों से मुझे देखती हुई।
 मेरी जिस लाईन पर मुझे चूमना चाहो चूम पाओ। मेरे ख़ाब में इन सर्दियों की शब भर तुम किसी आग की गर्माहट सी मेरे इर्द-ग़िर्द पसरी हुई रहती हो
। कई बार तो तुम मेरे माथे को चूम लेती हो और बताती हो- मेरी चिट्ठियों में तमाम मुहब्बत हो तुम। 
तुम्हारे साथ सर्दियाँ हसीन लगती है.. तुम्हारे साथ शब भर ख़याल। 
#सिर्फ_तुम्हारा - ❣️

©tanya@ sengar Sirf tumhara

#morningcoffee
इन सर्दियों में मेरी उंगलियाँ काम नहीं करती।
मैं तब तक कोई एहसास नहीं लिख पाता जब तक तुम्हारी गर्माहट मेरे सीने पर नहीं पसर जाती
। मैं कई रात अपनी हथेलियों को तुम्हारे कांधे पर रखकर सोचता हूँ- काश! 
मेरी हथेलियों को अपनी मुट्ठियों में भीच लो तुम
। मैं तुमसे लिपटने की इक ख़ाहिश लिए शब भर जगते हुए लिखता हूँ ताकि तुम जब मुस्कुराती हुई निगाहों से मुझे देखती हुई।
 मेरी जिस लाईन पर मुझे चूमना चाहो चूम पाओ। मेरे ख़ाब में इन सर्दियों की शब भर तुम किसी आग की गर्माहट सी मेरे इर्द-ग़िर्द पसरी हुई रहती हो
। कई बार तो तुम मेरे माथे को चूम लेती हो और बताती हो- मेरी चिट्ठियों में तमाम मुहब्बत हो तुम। 
तुम्हारे साथ सर्दियाँ हसीन लगती है.. तुम्हारे साथ शब भर ख़याल। 
#सिर्फ_तुम्हारा - ❣️

©tanya@ sengar Sirf tumhara

#morningcoffee