Nojoto: Largest Storytelling Platform

आज जब मैं घर से निकल रहा था , मानो आंगन ये बोल र

आज जब मैं घर से निकल रहा था ,
  मानो आंगन ये बोल रही थी कि आते रहना ,
रिस्ता बना रहता है , अब मेरी सुर्ख आँखो में बहोत दिनो तक  तस्वीरे रह नहीं पाती..

गाँव की गलियां बिना कुछ बोले एकटक ताके जा रहीं थी , मानो वो अपनापन खत्म हो चुका हो ज़िसमे एक दुजे से गीला सिकवा किया जा सके..

मंदिर, पिपल का पेड़,  कुआं सबने मुड़ कर देखना भी ज़रूरी नहीं समझा. शायद सोच रहे होंगे परदेशी है आया था जा रहा है.. 
 #NojotoQuote back to work
आज जब मैं घर से निकल रहा था ,
  मानो आंगन ये बोल रही थी कि आते रहना ,
रिस्ता बना रहता है , अब मेरी सुर्ख आँखो में बहोत दिनो तक  तस्वीरे रह नहीं पाती..

गाँव की गलियां बिना कुछ बोले एकटक ताके जा रहीं थी , मानो वो अपनापन खत्म हो चुका हो ज़िसमे एक दुजे से गीला सिकवा किया जा सके..

मंदिर, पिपल का पेड़,  कुआं सबने मुड़ कर देखना भी ज़रूरी नहीं समझा. शायद सोच रहे होंगे परदेशी है आया था जा रहा है.. 
 #NojotoQuote back to work