ये वो साथी है जब कोई परिवार का नही सुने जब कोई दोस्त भी नही समझे जब कोई करीब का साथ ना हो बाकी दुनिया नकार रही हो ये वो दो दोस्त है, जो बोलते है सुनते है समझते चाहे कैसा भी जस्बात हो कैसा भी व्यवहार हो बस बिना कुछ कहे पूछे बस एक साथ अपनापन भरोसा देते है और कहते है कर ले खाली खुद के मन को उन सब जिरह से जिसको तुम कहना और सुनाना चाहता है #मेरी डायरी ©पूर्वार्थ #डायरीकेपन्नोंसे