रास्ते जीवन के कटते गए रिश्ते बनते गए बिगड़ते गए, सफर शुरूआत मे सभी अपने लगे होश आया जब आँख खुली सब सपने लगे, अब जीवन के अंतिम पड़ाव पर रह गए 'मधुकर' तन्हा बिलकुल अकेले ना मेरे लिए अब ईद है और ना है दिवाली नाव मेरी अकेली थी नाव मेरी है अकेली, ---मधुकर सुप्रभात। जीवन रूपी नदी में सब अपनी अपनी नावों में सवार हैं और अकेले ही हैं। #नावअकेली #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi