#मन का महाभारत# आज गरजी आंख है और आसमां काला पड़ा है यूं हमारी 'नफ़रतों 'का 'याद' से पाला पडा है क्यूं हमारे नैन से हो मजबूर बहती ये गंगा क्या हमारे मन में कोई ऐसा भगीरथ खडा है! पाठ ऐसा पड़ दिया है मनरूपी कृष्ण ने तब मान के सम्मान में हो अटल ज्यों ये दृढ नभ जीभ जैसे पीठ पर तरकश में है पर खो गई है जो कलम से कागजों पर युद्घ करना ही पड़ा हैं! भीगते हैं नीली मिट्टी से बने ये 'छन्द' घोड़े बह रहे हैं गज गरजते बह गए यह 'बन्द'थोड़े फिर कहां जीतेगा अर्जुन याद-रूपी कर्ण हैं वो एक क्षण का याद आना पाला भारी यूँ पड़ा! आज गरजी आंख है #DPF #Kavishala #Mhabharat #NOJOTO