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न करो गुमान इतना, कि खुद की नजरों से ही गिर जाओ, क

न करो गुमान इतना,
कि खुद की नजरों से ही गिर जाओ,
कभी गरीब के घर जाकर देखो,
खुदा हँसता वहाँ ही है।
महलों में तो तन्हाईयाँ रहती है,
असली धूम तो गलियों में रहती है।
कुछ असर हुआ मेरी बात का ??? या नहीं,
मौन तो सूनी कोठरी में है, झोपड़ी में आग भी आवाज़ किया करती है। #घमण्ड
#सच
न करो गुमान इतना,
कि खुद की नजरों से ही गिर जाओ,
कभी गरीब के घर जाकर देखो,
खुदा हँसता वहाँ ही है।
महलों में तो तन्हाईयाँ रहती है,
असली धूम तो गलियों में रहती है।
कुछ असर हुआ मेरी बात का ??? या नहीं,
मौन तो सूनी कोठरी में है, झोपड़ी में आग भी आवाज़ किया करती है। #घमण्ड
#सच