लक्ष्मी बाई धीर बनी वो वीर बनी और बनी गम्भीर सी। स्वतंत्रता के संग्राम में बनी शमशीर सी। झांसी की रानी कहलायी बनी वो महावीर सी। साहसी थी वो निर्भय भी और बनी जन चेतना भी। फिरंगियों का आतंक मिटाने बनकर आयी उम्मीद सी। खिल उठा राजवंश भारत से हुई प्रीत सी। नारी सेना को तैयार किया थी अनोखी शक्ति सी। सबला थी वो ज्वाला सी और बनी मसीहा भी। मराठा साम्राज्य की कली अनोखी बुन्देलखण्ड की शान भी। धीर बनी वो वीर बनी और बनी गम्भीर सी। नाना के घर पली बढ़ी तात्या की मनु प्यारी थी। अखण्ड भारत पुनः निर्माण कसम मनु ने खाई थी। फिरंगियों के धूल चटायी बाज कभी न आयी थी। अंतिम सांस संघर्ष किया ऐसी लक्ष्मी बाई थी। आन थी वो शान भी और नारी का सम्मान भी। साक्षी जैन #झांसी की रानी